....... पहला प्यार :))
ज़िंदगी का पहला प्यार
कौन भूलता है
ये पहली बार होता है
जब कोई किसी को
खुद से बढ़कर
चाहता है
उसकी पसंद उसकी ख्वाहिश
में खुद को भूल जाता है
होता है इतना
खूबसूरत पहला प्यार
तो न जाने
क्यों अक्सर अधूरा रह जाता है .....!!!
-- राज चौहान
अक्सर अधूरी चीजें...जीवन भर के लिए हमारे साथ रह जाती है..शायद प्यार भी इसीलिए ख़ास बन जाता है..सुन्दर रचना
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार आदरणीय-
कोमल अहसास लिए सुन्दर भावपूर्ण रचना...
ReplyDelete:-)
उत्तम...इस प्रस्तुति के लिये आप को बहुत बहुत धन्यवाद...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी
प्यार तो प्यार होता है पूरा अधूरा कहां ... मिलन जुदाई जो समय की बात है बस ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर . अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteअच्छी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआप को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-तुमसे कोई गिला नहीं है
शायद अधूरे रह जाने में ही पहले प्यार की पूर्णता है...और जब ये अधूरा रहकर आदमी को अधिक परिपक्व और संपूर्ण बना देता है...सुंदर रचना।।।
ReplyDeletevakai...koi nahi bhulta...!
ReplyDeleteअच्ची रचना है प्रथम प्रेम के बारे में। स्वयं शून्य
ReplyDeleteमंगलकामनाएं आपकी लेखनी को !!
ReplyDeleteप्रेम तो पूर्ण भगवान को भी नहीं मिला, चाहें तो आप इतिहास उठा कर देख ले।
ReplyDeleteलेकिन प्रेम अपू्र्ण रहकर भी पूर्ण हैं
http://savanxxx.blogspot.in