आप सभी साथियों को मेरा सादर नमस्कार काफी दिनों से व्यस्त होने के कारण ब्लॉगजगत को समय नहीं दे पा रहा हूँ पर अब आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ प्रसिद्ध कवि शिवमंगल सिंह सुमन जी की सुंदर रचना सूनी साँझ के के साथ उम्मीद है आप सभी को पसंद आयेगी.......!!
@ शिवमंगल सिंह सुमन
( चित्र - गूगल से साभार )
बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।
पेड खडे फैलाए बाँहें
लौट रहे घर को चरवाहे
यह गोधुली, साथ नहीं हो तुम,
बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।
कुलबुल कुलबुल नीड-नीड में
चहचह चहचह मीड-मीड में
धुन अलबेली, साथ नहीं हो तुम,
बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।
जागी-जागी सोई-सोई
पास पडी है खोई-खोई
निशा लजीली, साथ नहीं हो तुम,
बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।
ऊँचे स्वर से गाते निर्झर
उमडी धारा, जैसी मुझपर-
बीती झेली, साथ नहीं हो तुम,
बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।
यह कैसी होनी-अनहोनी
पुतली-पुतली आँख मिचौनी
खुलकर खेली, साथ नहीं हो तुम,
बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।
पेड खडे फैलाए बाँहें
लौट रहे घर को चरवाहे
यह गोधुली, साथ नहीं हो तुम,
बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।
कुलबुल कुलबुल नीड-नीड में
चहचह चहचह मीड-मीड में
धुन अलबेली, साथ नहीं हो तुम,
बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।
जागी-जागी सोई-सोई
पास पडी है खोई-खोई
निशा लजीली, साथ नहीं हो तुम,
बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।
ऊँचे स्वर से गाते निर्झर
उमडी धारा, जैसी मुझपर-
बीती झेली, साथ नहीं हो तुम,
बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।
यह कैसी होनी-अनहोनी
पुतली-पुतली आँख मिचौनी
खुलकर खेली, साथ नहीं हो तुम,
बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।
@ शिवमंगल सिंह सुमन
बहुत बेहतरीन, आभार पढवाने के लिये.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत सुंदर रचना साझा करने के लिए आभार,,,
ReplyDeleteRECENT POST : जिन्दगी.
साझा करने के लिए धन्यवाद ,,,
ReplyDeleteसुंदर रचना साझा करने के लिए आभार,,,
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये
बहुत सुन्दर रचना पढवाने के लिए आभार |स्वतन्त्रता दिवस पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
ReplyDeleteआशा
सुमन जी की सुन्दर रचना प्रस्तुति के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
सुंदर रचना साझा करने के लिए आभार...राज जी
ReplyDeleteसुन्दर रचना..
ReplyDelete:-)
धन्यवाद इस सुंदर कविता को पुनः यादों में ताजा करने के लिये...
ReplyDelete