Tuesday, August 13, 2013

...........सूनी साँझ

आप सभी साथियों को मेरा सादर नमस्कार काफी दिनों से व्यस्त होने के कारण ब्लॉगजगत को समय नहीं दे पा रहा हूँ पर अब आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ प्रसिद्ध कवि शिवमंगल सिंह सुमन जी की सुंदर रचना सूनी साँझ के के साथ उम्मीद है आप सभी को पसंद आयेगी.......!!

 ( चित्र - गूगल से साभार )

बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।

पेड खडे फैलाए बाँहें
लौट रहे घर को चरवाहे
यह गोधुली, साथ नहीं हो तुम,

बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।

कुलबुल कुलबुल नीड-नीड में
चहचह चहचह मीड-मीड में
धुन अलबेली, साथ नहीं हो तुम,

बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।

जागी-जागी सोई-सोई
पास पडी है खोई-खोई
निशा लजीली, साथ नहीं हो तुम,

बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।

ऊँचे स्वर से गाते निर्झर
उमडी धारा, जैसी मुझपर-
बीती झेली, साथ नहीं हो तुम,

बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।

यह कैसी होनी-अनहोनी
पुतली-पुतली आँख मिचौनी
खुलकर खेली, साथ नहीं हो तुम,

बहुत दिनों में आज मिली है
साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।


@  शिवमंगल सिंह सुमन

9 comments:

  1. बहुत बेहतरीन, आभार पढवाने के लिये.

    रामराम.

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  2. बहुत सुंदर रचना साझा करने के लिए आभार,,,

    RECENT POST : जिन्दगी.

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  3. साझा करने के लिए धन्यवाद ,,,

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  4. सुंदर रचना साझा करने के लिए आभार,,,

    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये

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  5. बहुत सुन्दर रचना पढवाने के लिए आभार |स्वतन्त्रता दिवस पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
    आशा

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  6. सुमन जी की सुन्दर रचना प्रस्तुति के लिए धन्यवाद
    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

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  7. सुंदर रचना साझा करने के लिए आभार...राज जी

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  8. धन्यवाद इस सुंदर कविता को पुनः यादों में ताजा करने के लिये...

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