सभी ब्लॉगर साथियों को नमस्कार अब आप सभी के समक्ष पुन:
उपस्थित हूँ ! दीपावली के पवन अवसर पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया जी एक बेहतरीन रचना .......!
दीपक करने आ गए,धरती पर उजियार
आलोकित संसार है, भाग रहा अंधियार.
उजलापन यह कह रहा,मन में भर आलोक
खुशियाँ बिखरेगी सतत,जगमग होगा लोक.
दीपक नगमे गा रहे,मस्ती रहे बिखेर
सबके हिस्से है खुशी,हो सकती है देर.
छत पर उजियारा पला,रौशंन हुई मुडेर
या खुद लक्ष्मी आयेगी,या उसको ले टेर,
जगमग सारा जग हुआ,नगरऔर हर गाँव
संस्कार की जय हुई,मिली नेह को ठांव.
अंतर्मन उजला हुआ,दीपों का यह पर्व
हर इंसा अब कर रहा,आज स्वमं पर गर्व,
सत्य आज फिर पल रहा,धर्म करे जयघोष
अहंकार मत पालना,वरना खुद का दोष,
उजियारा इक भाव है,उजियारा गुणधर्म
उजियारे से प्रगति है ,समझो प्रियवर मर्म.
आलोकित संसार में,हरदम पलता प्यार
उजलेपन से ही सदा,जीवन पाता सार,
दीपों की यह है कथा,जीवन में उजियार
संघर्षो के पथ रहो, कभी न मानो हार,
धीरेन्द्र सिंह जी का आभारी हूँ उन्होंने हमेशा ही मेरा उत्साहवर्धन किया है
........................बहुत बहुत आभार धीरेन्द्र सिंह जी
@ राज चौहान
वाह मित्र वाह बेहद सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteवाह ... बहुत ही बढिया।
ReplyDeleteधीरेन्द्र जी को बरसों से पढ़ती हूँ...नियम से...
ReplyDeleteउनका स्नेह भी मेरी रचनाओं को मिलता है बिना विलम्ब..
बहुत सुन्दर रचना..
आभार राज जी.
आपको दीपोत्सव की शुभकामनाएँ.
अनु
सभी दोहे बहुत सुन्दर और शिक्षाप्रद हैं
ReplyDeleteराज जी,,,,,,मेरी रचना प्रकाशित करने के लिये,,,,आभार
ReplyDeleteआपको मेरी रचना अच्छी लगी,तो कम से कम मेरे फालोवर तो बने
ताकि इसी बहाने एक दूसरे के पोस्टो में आना जाना बना रहेगा,,,
RECENT POST:..........सागर
दीपों की यह है कथा,जीवन में उजियार
ReplyDeleteसंघर्षो के पथ रहो, कभी न मानो हार,
सही कहा है आपने !!
मेरी नयी पोस्ट परआपका स्वागत है
माँ नहीं है वो मेरी, पर माँ से कम नहीं है !!!
http://udaari.blogspot.in
आप कम लिखते तो लेकिन जितना लिख पाते हो, उतना ही अच्छा लिखते हो।
ReplyDeleteRECENT POST:....आई दिवाली,,,100 वीं पोस्ट,
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